Yamini Malhotra : ‘बिग बॉस 18’ में वाइल्डकार्ड के तौर पर एंट्री करने वाली यामिनी मल्होत्रा शोबिज की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम बन चुकी हैं। वह अपनी शानदार एक्टिंग और बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती हैं, लेकिन अब उन्होंने एक इंस्टाग्राम स्टोरी के माध्यम से एक गंभीर मुद्दा उठाया है, जो मुंबई जैसे महानगर में रहने वाले लोगों के लिए सोचने का विषय बन गया है। यामिनी ने अपनी पोस्ट में बताया कि उन्हें Mumbai में किराए पर घर ढूंढने में काफी कठिनाई हो रही है, और इस परेशानी का मुख्य कारण उनका धर्म और प्रोफेशन है।
धर्म और जाति पर सवाल: घर मिलने में अड़चनें
यामिनी मल्होत्रा ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में साझा किया कि किस तरह से घर मालिक और एजेंट उनसे धर्म और जाति से जुड़े सवाल पूछते हैं, जैसे ‘क्या आप हिंदू हैं या मुस्लिम?’, ‘क्या आप गुजराती हैं या मारवाड़ी?’। इन सवालों से तंग आकर उन्होंने यह महसूस किया कि आज के समय में भी एक्ट्रेस होने के कारण उन्हें घर पाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना था कि जब लोग यह सुनते हैं कि वह एक्ट्रेस हैं, तो वे तुरंत ही घर देने से मना कर देते हैं।
मुंबई से प्यार, लेकिन घर ढूंढने की मुश्किलें
यामिनी ने अपनी स्टोरी में यह भी साझा किया कि वह मुंबई से बहुत प्यार करती हैं, लेकिन यहां घर ढूंढना उतना ही मुश्किल हो गया है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या एक्ट्रेस होने के कारण वह घर पाने की कम हकदार हैं? उनका यह सवाल गंभीर है क्योंकि एक बड़े शहर में जहां लोग अपने सपनों को साकार करने के लिए आते हैं, वहां एक व्यक्ति को सिर्फ उसकी प्रोफेशनल पहचान या धर्म के कारण बुरा अनुभव करना पड़ रहा है।
क्या मुंबई सच में सपनों का शहर है?
यामिनी के अनुसार, यह वाकई हैरान करने वाली बात है कि 2025 में भी लोग इस तरह के सवाल पूछने की हिमाकत करते हैं। उनका सवाल था, “क्या हम वाकई मुंबई को सपनों का शहर कह सकते हैं, जब यहां आपके सपने केवल शर्तों के साथ ही पूरे हो सकते हैं?” यह सवाल हमारे समाज में फैले भेदभाव और पूर्वाग्रह को उजागर करता है, जिसे समय के साथ मिटाने की जरूरत है।
Yamini malhotra का अनुभव: एक सच्ची और दर्दनाक कहानी
यामिनी ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने यह पोस्ट अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करने के लिए लिखा है, ताकि लोग समझ सकें कि आज भी हमारे समाज में कुछ चीजों पर विचार करने की जरूरत है। हालांकि, यामिनी ने यह नहीं बताया कि उन्हें आखिरकार घर मिल पाया या नहीं, लेकिन उनका अनुभव यह दर्शाता है कि इस तरह की समस्याओं का सामना न केवल एक्ट्रेसेस बल्कि आम लोग भी कर रहे हैं।
चारू असोपा का भी अनुभव: सिंगल पेरेंट होने पर घर न मिलना
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यामिनी अकेली नहीं हैं जो इस तरह की परेशानी का सामना कर रही हैं। इससे पहले भी कई एक्ट्रेसेस ने अपनी परेशानियों का जिक्र किया है। उदाहरण के लिए, चारू असोपा ने भी बताया था कि वह सिंगल पेरेंट होने के कारण घर नहीं ढूंढ पा रही थीं। इस तरह के मुद्दे हमारे समाज में जातिवाद, धर्मवाद और लिंग भेदभाव के खिलाफ एक कड़ी चेतावनी के रूप में सामने आते हैं, जिन्हें दूर करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
मुंबई में भेदभाव: क्या हम सपनों के शहर में असल में रहते हैं?
मुंबई, जो खुद को ‘सपनों का शहर’ कहता है, में रहने के लिए एक व्यक्ति को सिर्फ उसकी पहचान और प्रोफेशन के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है, यह विचार करने योग्य है। क्या वाकई हम ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां व्यक्ति की मेहनत और उसकी पहचान को सम्मान नहीं मिलता? यामिनी का यह अनुभव हमें यह समझने पर मजबूर करता है कि हमें अपने दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है। हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलने चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या प्रोफेशन से जुड़ा हो। सपनों का शहर तभी बन सकता है जब यहां सभी को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर मिलें। यामिनी की इस पोस्ट ने हम सभी को यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम वाकई अपने सपनों को बिना किसी शर्त के पूरा कर पा रहे हैं या फिर समाज के पुराने रिवाजों और भेदभाव की जंजीरों में फंसे हुए हैं।