बिहार में भूकंप (Earthquake in Bihar) : मंगलवार सुबह बिहार के कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनमें राजधानी पटना (Patna) भी शामिल है। ये झटके इतने तेज थे कि लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे जब पृथ्वी 6:38 बजे हिली। पटना के अलावा, यह झटके अन्य कई जिलों जैसे साहारसा, सीतामढ़ी, मधुबनी और आरा में भी महसूस किए गए।
Earthquake in Bihar: नेपाल में 7.1 तीव्रता का भूकंप
भूकंप का केंद्र नेपाल में था, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। भूकंप की तीव्रता रिच्टर स्केल पर 7.1 मापी गई। 7 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप संरचनात्मक क्षति का कारण बन सकते हैं, जिसमें इमारतों की नींव में दरारें और संभावित गिरावट शामिल हो सकती है। रिपोर्ट करने के समय तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था, लेकिन झटकों ने लोगों को चिंतित और घबराया हुआ महसूस कराया।
संयुक्त राज्य भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, एक भूकंप का केंद्र आज सुबह 6:35:16 बजे नेपाल-तिब्बत सीमा के पास लोबुचे से 93 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था।
हालांकि, अब तक किसी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं आई है।
Earthquake in Bihar: पश्चिम बंगाल में भी महसूस हुए झटके
आज सुबह लगभग 6:35 बजे पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भी हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए। झटके दक्षिण बंगाल की तुलना में उत्तर बंगाल में अधिक महसूस हुए। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में भी इन झटकों का असर हुआ।
यह झटके पांच देशों—भारत, चीन, बांगलादेश, भूटान और नेपाल में महसूस हुए।
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Earthquake in Patna: भूकंप क्यों होते हैं?
हाल के दिनों में भारत सहित दुनिया भर में भूकंप की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। पृथ्वी सात टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है। ये प्लेट्स लगातार अपनी जगह पर घूमती रहती हैं। हालांकि, कभी-कभी इनके बीच टक्कर या घर्षण होता है, जिससे हम भूकंप का अनुभव करते हैं।
रिच्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता का आकलन कैसे करें?
0 से 1.9: जानकारी सेस्मिकग्राफ से प्राप्त होती है।
2 से 2.9: बहुत हल्की कंपन महसूस होती है।
3 से 3.9: ऐसा लगेगा जैसे भारी वाहन गुजर रहा हो।
4 से 4.9: घर में रखी वस्तुएं गिर सकती हैं।
5 से 5.9: भारी वस्तुएं और फर्नीचर भी हिल सकते हैं।
6 से 6.9: भवन की नींव में दरारें पड़ सकती हैं।
7 से 7.9: भवन गिर सकते हैं।
8 से 8.9: सुनामी का खतरा, अधिक तबाही।
9 या उससे अधिक: सबसे गंभीर तबाही, पृथ्वी की कंपन साफ महसूस होगी।
पिछले 50 वर्षों में भारत में हुए कुछ प्रमुख भूकंपों का इतिहास दिया गया है:
वर्ष | तारीख | स्थान | तीव्रता (रिच्टर स्केल) | प्रभाव/विवरण |
1976 | 31 मई | कच्छ, गुजरात | 6.0 | इमारतों को भारी नुकसान हुआ; कई लोग मारे गए। |
1988 | 22 मई | लातुर, महाराष्ट्र | 6.6 | एक बड़ा भूकंप जिसमें 10,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। |
1991 | 20 मार्च | मणिपुर (उखरुल जिला) | 6.3 | हजारों घरों को नुकसान हुआ, 100 से अधिक लोगों की मौत हुई। |
1993 | 12 सितंबर | महाराष्ट्र (लातुर) | 6.3 | 8,000 से अधिक लोगों की मृत्यु और 30,000 से अधिक लोग घायल हुए। |
1999 | 29 अगस्त | चमोली, उत्तराखंड | 6.6 | कई भूस्खलन हुए और इस क्षेत्र में जान-माल का भारी नुकसान हुआ। |
2001 | 26 जनवरी | गुजरात (भुज) | 7.7 | भारत के सबसे घातक भूकंपों में से एक; 20,000 से अधिक लोग मारे गए। |
2004 | 26 दिसंबर | अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह | 9.1–9.3 | एक विशाल सुनामी उत्पन्न हुई, जो भारत के पूर्वी तट को प्रभावित करती है, हजारों लोग मारे गए। |
2005 | 28 मार्च | कश्मीर (मुजफ्फराबाद) | 7.6 | पाकिस्तान और भारत में व्यापक तबाही, कई लोग मारे गए। |
2011 | 26 जनवरी | सिक्किम | 6.9 | महत्वपूर्ण संरचनाओं को नुकसान हुआ, कम से कम 100 लोग मारे गए। |
2015 | 25 अप्रैल | नेपाल (भारत सीमा के पास) | 7.8 | उत्तर भारत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, नेपाल में भारी तबाही। |
2016 | 4 जनवरी | इम्फाल, मणिपुर | 6.7 | उत्तर-पूर्वी भारत को प्रभावित किया, कई लोग मारे गए और घायल हुए। |
2017 | 6 जनवरी | उत्तराखंड (पिथौरागढ़) | 5.8 | हल्के से मध्यम प्रभाव; कुछ क्षति, लेकिन मौत की खबर नहीं आई। |
2019 | 19 मई | असम (धुबरी) | 6.0 | इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान हुआ और असम में कुछ लोग घायल हुए। |
2020 | 22 मई | असम (सोनितपुर) | 5.6 | ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ नुकसान हुआ, कोई जनहानि नहीं हुई। |
2021 | 26 जनवरी | उत्तराखंड (चमोली) | 5.8 | क्षेत्र में अचानक बाढ़ और भूस्खलन हुए, जिससे भारी नुकसान हुआ। |
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